माँ इंतज़ार है मुझे
तेरी दुनिया में आने का
तेरी गोद में सोने का
तेरी प्यारी लोरी सुनने का
अंश हूँ मैं तेरी
तेरी दुनिया भी मेरी है
माँ एक तू ही तो है
जो तसल्ली देती है
मैं हूँ अभी अँधेरे संसार में
जहाँ बस तेरी ही आवाज़ आती है
मेरी हरकतें माँ तुझे
न जाने कितना लुभाती हैं
लेकिन कुछ सवाल
मैं ख़ुद से भी करती हूँ ....
एक तू ही तो है
जिसे मैं अपना समझती हूँ
फिर क्यों तेरी ममता
ओ माँ !
उस वक़्त कमज़ोर पड़ती है
जब मेरे अस्तित्व को मिटा देना
तेरी मज़बूरी बनती है ......?
क्यों लड़ती नहीं हो
झगड़ती नहीं हो
उस अमानवीय विचार से
जो तुमको तुम्हारी प्यारी से
ज़बरन दूर करता है ...?
ऐ माँ !
ओ मेरी प्यारी माँ !!
इंतज़ार मुझको भी है
इंतज़ार तुझको भी है
फिर क्यों
तुझे ओ माँ
तुझे ओ माँ
मेरी पुकार
तेरी ममता
ज़माने से लड़ना नहीं सिखाती है.....?
@रक्षा सिंह "ज्योति "