बुधवार, 7 मार्च 2018

महिला दिवस


परिवार का ताना-बाना बुनती है नारी 
ममतामयी जननी है नारी 

कब से लड़ रही है 
अज्ञानता और अशिक्षा से 

रूढ़ियों में उलझी है 
अपनी स्वेच्छा से 

करुणा ममता का अथाह सागर है 

प्रेम की प्यारी छलकती गागर है  

तोड़कर बंधनों की बेड़ियाँ 

क्रांति का ध्वज लहरायेगी 

आयेगा एक दिन ज़रूर 

धरी रह जायेगी समाज की पहरेदारी। 

@ रक्षा सिंह "ज्योति"

शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

कन्या भ्रूण हत्या



माँ इंतज़ार है मुझे 

तेरी दुनिया में आने का 

तेरी गोद में सोने का 

तेरी प्यारी लोरी सुनने का 

अंश हूँ मैं तेरी 

तेरी दुनिया भी मेरी है 

माँ एक तू ही तो है 

जो तसल्ली देती है 

मैं हूँ अभी अँधेरे संसार में 

जहाँ बस तेरी ही आवाज़ आती है 

मेरी हरकतें माँ तुझे 

न जाने कितना लुभाती हैं 

लेकिन कुछ सवाल 

मैं ख़ुद  से भी करती हूँ ....

एक तू ही तो है 

जिसे मैं अपना समझती हूँ 

फिर क्यों तेरी ममता 

ओ माँ !

उस वक़्त  कमज़ोर पड़ती है 

जब मेरे अस्तित्व को मिटा देना 

तेरी मज़बूरी बनती है ......? 

क्यों लड़ती नहीं हो 

झगड़ती नहीं हो 

उस अमानवीय विचार से

जो तुमको तुम्हारी प्यारी से 

ज़बरन दूर करता है ...? 

ऐ माँ !

ओ  मेरी प्यारी माँ !!

इंतज़ार मुझको भी है 

इंतज़ार तुझको भी है 

फिर क्यों 

तुझे ओ माँ 

मेरी पुकार 

तेरी ममता 

ज़माने से लड़ना नहीं सिखाती है.....? 

@रक्षा सिंह "ज्योति "


सोमवार, 15 जनवरी 2018

अलाव


शरद ऋतु और माघ मास, 

जीवन के लिये  है  ख़ास।  

बाबा जी जला दिए 

सुबह-सवेरे अलाव, 

आँच तापने आते लोग 

घेरे का होता जाता फैलाव। 

कोहरे में चलते-चलते 

लोग हो जाते अदृश्य, 

प्रकृति के हैं बड़े 

अजीब-सजीव रहस्य।  

कोई उठता पशुओं को देने चारा   

कोई करने उठता सफ़ाई, 

कोई उठता पानी भरने 

कोई करता दूध-दुहाई।  

क़िस्से चलते रहते 

अलाव पर, 

हाथ सेंककर बढ़ जाते लोग 

अगले पड़ाव पर।  

खेतों से आती 

फूली सरसों की ख़ुशबू, 

बैलों के गले में 

बजती घंटियाँ टुनक-टू। 

तैयार हो आयी 

अलाव पर नन्हीं मुनिया,

मुँह से धुआँ फूकती 

चली स्कूली-दुनिया। 

@रक्षा सिंह "ज्योति" 


सादर नमस्कार

सादर नमस्कार।
आज नया ब्लॉग आरम्भ कर रही हूँ। 
पहले ब्लॉग "हिन्दी-अनुभूति और स्पंदन" पर तकनीकी समस्या के चलते पोस्ट प्रकाशित नहीं हो पा रही है। 
हिन्दी-अनुभूति और स्पंदन की दोनों रचनाओं के लिंक इस प्रकार हैं -

https://hindianubhootiaurspandan.blogspot.in/2016/12/blog-post.html  


नव वर्ष



https://hindianubhootiaurspandan.blogspot.in/2017/12/blog-post.html
इंसान हूँ मैं ....

     मैं अपने ब्लॉग के समर्थक  एवं फॉलोवर्स सुधि जनों से क्षमा चाहती हूँ।  कोशिश होगी अब निरंतर ब्लॉग जगत में सक्रियता बनी रहे।