शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

कन्या भ्रूण हत्या



माँ इंतज़ार है मुझे 

तेरी दुनिया में आने का 

तेरी गोद में सोने का 

तेरी प्यारी लोरी सुनने का 

अंश हूँ मैं तेरी 

तेरी दुनिया भी मेरी है 

माँ एक तू ही तो है 

जो तसल्ली देती है 

मैं हूँ अभी अँधेरे संसार में 

जहाँ बस तेरी ही आवाज़ आती है 

मेरी हरकतें माँ तुझे 

न जाने कितना लुभाती हैं 

लेकिन कुछ सवाल 

मैं ख़ुद  से भी करती हूँ ....

एक तू ही तो है 

जिसे मैं अपना समझती हूँ 

फिर क्यों तेरी ममता 

ओ माँ !

उस वक़्त  कमज़ोर पड़ती है 

जब मेरे अस्तित्व को मिटा देना 

तेरी मज़बूरी बनती है ......? 

क्यों लड़ती नहीं हो 

झगड़ती नहीं हो 

उस अमानवीय विचार से

जो तुमको तुम्हारी प्यारी से 

ज़बरन दूर करता है ...? 

ऐ माँ !

ओ  मेरी प्यारी माँ !!

इंतज़ार मुझको भी है 

इंतज़ार तुझको भी है 

फिर क्यों 

तुझे ओ माँ 

मेरी पुकार 

तेरी ममता 

ज़माने से लड़ना नहीं सिखाती है.....? 

@रक्षा सिंह "ज्योति "


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